Tuesday, August 25, 2009

मिलती कोई राह

31 comments:

"अर्श" said...

IS PURI RACHANAA ME EK LINE AISA HAI JO ANDAR SE HILAA KE RAKH DIYA WO HAI ,... MAUN HAI EK GAHARAA SA SAMUNDAR... KYA KHUB BAAT KAHI HAI AAPNE... KYA WAKAI YE TAZARBAAKAARI KI BAAT NAHI HAI... AAP HI KAH SAKTI HAI ... BEHAD BHAUK AUR SAMVEDANSHIL RACHANAA KAHU TO GALAT NAA HOGAA... BAHUT PASAND AAYEE YE RACHANAA..

AABHAAR AAPKA
ARSH

admin said...

बहुत सुंदर भाव।
और हां, कविता प्रस्तुत करने का आपका यह तरीका लाजवाब है।
-Zakir Ali ‘Rajnish’
{ Secretary-TSALIIM & SBAI }

कुश said...

एक उदास नज़्म जैसे बाते करती हुई.. बैक ग्राउंड में तस्वीर बहुत खूबसूरत है..

नीरज गोस्वामी said...

लाजवाब रचना रंजू जी...कहाँ से ढूंढ लाती हैं इतने सुन्दर शब्द और भाव...वाह...और इसका प्रस्तुतीकरण गज़ब का है...दिलकश.
नीरज

डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक' said...

सजी-संवरी इस सुन्दर अभिव्यक्ति के लिए,
बधाई!

kshitij said...

sunder shabd sanyojan

masoomshayer said...

udasee bhee likhtee ho to khoob likhtee ho bahut achee kavita hai

हेमन्त कुमार said...

कविता खूबसूरत है । धन्यवाद ।

सुशील छौक्कर said...

कुछ ऐसे ही ख्याल घूम रहे थे आस पास। सच्ची सी रचना। बहुत अच्छी लगी।

Ashish Khandelwal said...

बहुत खूब.. सुंदर तस्वीरों के साथ आपकी कविता के एहसास और भी प्रभावी हो जाते हैं.. हैपी ब्लॉगिंग

उन्मुक्त said...

चित्र के ऊपर प्यारी सी कविता - स्टाईल अच्छा आया।

अर्चना said...

'lafj jaise roop dhare gaandhaari ka......'-behad bhawapoorn kawita. badhaai.

सुरेन्द्र "मुल्हिद" said...

ek baar phir ati uttam rachna...

Mumukshh Ki Rachanain said...

बहुत हूनर से बयां की है आपने अपनी यह दिलकश नज़्म "मिलती कोई रह तो यह दिल मंजिल पा लेता"
उम्मीद रखें ऊपर वाला सही वक्त पर सही राह देताम ज़रूर है...........

बधाई.

Alpana Verma said...

kavita ki prastuti bahut achchee lagi..
kavita to hai hi bahut achchee..

'ek hod si machi hai...har taraf shor....saje ghaaron mein.....khoye panghat....'

aaj ki sthitiyon ka ayeena si lagi..
udaas to hai magar bhaavabhivyakti mein poori tarah safal rachna.

परमजीत सिहँ बाली said...

सुन्दर रचना है।बधाई ।

Arvind Mishra said...

लफ्ज जैसे धरे हैं रूप गांधारी का -कृपया व्याख्या करें !

Ashok Pandey said...

शब्‍द, भाव और चित्र सभी सुंदर हैं।

Vipin Behari Goyal said...

क्या बात है


बहुत खूब

ताऊ रामपुरिया said...

बहुत सुंदर रचना और उतना ही सुंदर प्रस्तुतिकरण.

रामराम.

अनिल कान्त said...

मुझे कविता बहुत अच्छी लगी...दिल के पास सी

vandana gupta said...

khoobsoorat bhavon ki mala mein piroyi huyi kavita .......gahre ahsaas.......badhayi

http://vandana-zindagi.blogspot.com

डॉ .अनुराग said...

this experiment is good..may be you choose some more bright co lour ..with some happiness.

रचना त्रिपाठी said...

सुंदर अभिव्यक्ति।
धन्यवाद।

रविकांत पाण्डेय said...

यह जग है एक झूठा छलावा

सच कहा आपने, पर इस झूठ के स्वर्णमृग का आकर्षण इतना प्रबल है कि हमारी बुद्धि रूपी सीता मोहित हो जाती है और राम अंततः छले जाते हैं।

सुंदर कविता के लिये बधाई स्वीकारें।

Anita said...

बहुत ही प्यारा लिखा है .. लगता है मैं अपनी कहानी सुना रही हूँ!!

निर्मला कपिला said...

शब्दों के साथ
बहते हुये
पता नहीं कितने
गहरे मे चली गयी
एक सन्नाटा बेचैनी
और छटपटाहट
कितना तक्लीफ देह
कितना अनजाना सा
ये शब्दों का सफर
जहाँ डूब कर
जाना पडता है किनारे तक
बहुत खूबसूरत मग उदासीनता समेटे भावमाय अभिव्यक्ति शुभकामनायें

निर्मला कपिला said...

शब्दों के साथ
बहते हुये
पता नहीं कितने
गहरे मे चली गयी
एक सन्नाटा बेचैनी
और छटपटाहट
कितना तक्लीफ देह
कितना अनजाना सा
ये शब्दों का सफर
जहाँ डूब कर
जाना पडता है किनारे तक
बहुत खूबसूरत मग उदासीनता समेटे भावमाय अभिव्यक्ति शुभकामनायें

मुकेश कुमार तिवारी said...

रंजना जी,

- मौन है एक गहरा सा समंदर
कुछ पल तो दिल सुख के गीत रच लेता

- खोये सब वो पनघट के गीत सुहाने

- कोई तो सुर मिलन की रागिनी में डुबोता

बहुत सुन्दर उपमायें, सौन्दर्य और भावों का अनूठा मेल है रचना में।

शानदार प्रस्तुतीकरण।

सादर,

मुकेश कुमार तिवारी

Asha Joglekar said...

Pyar ke ragini men ye udasee ke sur kaise ? par presentation bahut hee achcha laga.

दिगम्बर नासवा said...

KHOOBSOORAT KAVITA ....... SUNDAR BHAAV .... SUNDAR PRASTUTIKARAN ..... JAISE BOLTI HUYEE KAVITA ........ KUCH UDAASI LIYE ..... NAM KO SAHLAATE HUVE ..... LAJAWAAB ....